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Showing posts from 2017

Janiye Kese Bana Sher Maa Durga Ki Sawari- जानिए कैसे बना शेर माँ दुर्गा की सवारी

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शक्ति का रूप दुर्गा, जिन्हें सारा जगत मानता है... ना केवल कोई साधारण मनुष्य, वरन् सभी देव भी उनकी अनुकम्पा से प्रभावित रहते हैं। एक पौराणिक आख्यान के अनुसार मां दुर्गा को यूं ही शेर की सवारी प्राप्त नहीं हुई थी, इसके पीछे एक रोचक कहानी बनी है। आदि शक्ति, पार्वती, शक्ति... आदि नाम से प्रसिद्ध हैं मां दुर्गा। धार्मिक इतिहास के अनुसार भगवान शिीव को पति  क रूप में पाने के लि्ए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की। कहते हैं उनकी तपस्या में इतना तेज़ था जिसके प्रभाव से देवी सांवली हो गईं। इस कठोर तपस्या के बाद शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई। एक कथा के अनुसार भगवान शि व से वि्वाह के बाद एक दि न जब शि व, पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिहव ने पार्वती से मजाक करते हुए काली कह दििया। देवी पार्वती को शिंव की यह बात चुभ गई और कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गईं। इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। ले‌किोन चमत्कार तो देखिए... देवी को तपस्या में लीन देखकर वह वहीं चुपचाप बैठ गया।

Know Who Was Mandodari? - जानिए कौन थी मंदोदरी?

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मंदोदरी... जैसे ही यह नाम आता है हमारे जहन में एक ऐसी रानी की तस्वीर उभर आती है, जिसके चरणों में दुनिया का हर एशो-आराम है..एक अप्सरा की पुत्री जो अत्याधिक खूबसूरत और आकर्षक है, एक ऐसी समर्पित रानी ..जो स्वयं असुर सम्राट रावण की पत्नी है...। सोने की लंका की महारानी मंदोदरी, रामायण की कहानी का एक ऐसा पात्र हैं जिन्हें कभी ठीक से समझा नहीं गया। उनकी पहचान हमेशा लंकापति रावण की पत्नी तक ही सीमित रही और रावण की मृत्यु के बाद उनका अध्याय भी जैसे समाप्त कर दिया गया। रामायण की कहानी की बात करें तो अधिकांश लोग केवल भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और रावण के विषय में जानने की जिज्ञासा रखते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं या इस बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ था? अगर आपके दिमाग में भी यह प्रश्न कुलबुला रहा है या इस विषय में जानने की इच्छा हुई है तो आगे की स्लाइड्स में जानें कि आखिर लंकापति रावण की मृत्यु के बाद और विभीषण को राजपाट मिलने के बाद मंदोदरी का जीवन कैसा था। लेकिन उससे भी पहले मंदोदरी के जन्म और उनके परिवार के विष

Know Who Was Sai Baba? - जानिए कौन थे साईं बाबा?

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शिर्डी के साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें उनके भक्त संत, फ़क़ीर और सतगुरु भी कहते थे। उनके हिन्दू और मुस्लिम दोनों भक्त उन्हें पूजते थे, और उनकी मृत्यु के बाद भी आज भी हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग उन्हें पूजते है। साईं बाबा की किसी एक समाज में प्रतिष्ठा नही है। उन्होंने अपने आप को एक सच्चे सद्गुरु को समर्पित कर दिया था, लोग उन्हें भगवान का अवतार ही समझते थे। वैश्विक स्तर पर भी लोग साईं बाबा को जानते है। नश्वर चीजो का उन्हें कोई मोह नही था और उनका मुख्य उद्देश्य स्वयं को खुद की अनुभूति दिलाना था। वे लोगो को प्यार, दया, मदद, समाज कल्याण, संतोष, आंतरिक शांति और भगवन की भक्ति और गुरु का पाठ पढ़ाते थे। उन्होंने लोगो को धार्मिक भेदभाव करने से भी मना किया था। साईबाबा लोगो को हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म का पाठ पढ़ाते थे, उन्होंने उनके रहने वाली मस्जिद को हिन्दू नाम द्वारकामाई का नाम भी दिया था, जिसमे हिन्दू और मुस्लिम दोनों एकसाथ साईबाबा को पूजते थे। साईबाबा की एक प्रसिद्ध सुभाषित “सबका मालिक एक” है, जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो से जुडी हुई है, इसके साथ ही वे

Learn Apsara ....... Boon Or Curse - जानिए अप्सरा ....... वरदान या अभिशाप

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सुंदर और बेहद आकर्षक.... सही मायनों में शायद यही है अप्सराओं की परिभाषा। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों एवं कुछ बौद्ध शास्त्रों द्वारा भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है। जिसके अनुसार ये काल्पनिक, परंतु नितांत रूपवती स्त्री के रूप मे चित्रित की गई हैं। यूनानी ग्रंथों मे अप्सराओं को सामान्यत: 'निफ' नाम दिया गया है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इन अप्सराओं का कार्य स्वर्ग लोक में रहनी वाली आत्माओं एवं देवों का मनोरंजन करना था। वे उनके लिए नृत्य करती थीं, अपनी खूबसूरती से उन्हें प्रसन्न रखती थीं । लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अलावा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। लेकिन इनके नाम काफी भिन्न हैं। चीनी धार्मिक दस्तावेजों में भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है, लेकिन शुरुआत हम हिन्दू इतिहास से करेंगे। हिन्दू इतिहास की बात करें ऋग्वेद के साथ-साथ महाभारत ग्रंथ में भी कई अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। यह अप्सराएं किसी ना किसी कारण से स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर आईं एवं इन ग्रंथों को एक कहानी प्रदान कर चली गईं।

Know Who was the sister of Lord Rama - जानिए कौन थीं भगवान राम की बहन

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दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं। उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, अध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज्यादा होती है। उक्त रामायण का अध्ययन करने पर हमें रामकथा से जुड़े कई नए तथ्‍यों की जानकारी मिलती है। इसी तरह अगर दक्षिण की रामायण की मानें तो भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थी। दक्षिण में लिखी गई रामायण में ऐसा लिखा गया है कि राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के थोड़े ही दिन के बाद उन्हें अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद ले लिया था। भगवान राम की बड़ी बहन का पालन पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्शिनी (महारानी कौशल्या की बहन) ने किया। आगे चलकर शान्ता का विवाह ऋष्याश्रिंगा से हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऋष्याश्रिंगा और शान्ता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। आज भी सेंगर राजपूत ही हैं, जिन्हें ऋषिवंशी राजपूत कहा जाता है। इस संबंध में तीन कथाएं हैं:   1.पहली : वर्षिणी नि:संतान थीं तथा एक बार अयोध्या में उन्होंने हंसी-हंसी में ही बच्चे की मांग की। दशरथ भी मान गए। रघुकुल का दिया गया वचन निभ

know Rishi Ruru Gave Up Half His Life To Save His Beloved Wife, Pramadvara - जानिए ऋषि रुगु अपने प्रिय पत्नी, प्रमोदवरा को बचाने के लिए अपना आधा जीवन सौंप दिया था

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हालांकि, ऋषि ररु का वर्णन साँपों की तीव्र नफरत के लिए महाभारत में किया गया है, लेकिन देवी भागवत पुराण की एक कहानी ने अपने जन्म, उनकी पत्नी का जन्म, प्रमोदवार का वर्णन किया और उन्होंने सभी सांपों से नफरत क्यों किया। महर्षि भृगु (सप्तर्षिओं में से एक) ने पलोमा नाम की महिला से शादी की थी पुलोमा ने चिवना को जन्म दिया (जिस व्यक्ति को चेवनस्पैश का नाम दिया गया है) च्यवन ने सुकन्या से शादी की, जिन्होंने प्रामाति को जन्म दिया। प्रमति ने प्रतापी से शादी की, जिन्होंने ररु को जन्म दिया। ररु, एक ब्राह्मण, एक ऋषि बन गया, बस उसके दादाजी की तरह उसके सामने। अप्सारा मेनका (शकुंतला की मां) और विशवासु (गंधर्व का राजा और रावण और कुबेर का पिता) की एक बेटी विवाह के बाहर थी, और शर्म की बात है, उसने एक ऋषि की आश्रम में बेटी को छोड़ दिया। ऋषि का नाम स्टॉलकेशा था, जिसने लड़की का नाम रखा, प्रमद्वार स्टॉलकेस ने प्रमोदर को अत्यंत प्रेम और देखभाल के साथ उठाया, और वह एक उज्ज्वल और सौहार्दपूर्ण औरत के रूप में उभरी। एक दिन, रूरु प्रमद्वार को देखने लगा और उसके साथ प्यार में गिर गया। उसके लिए

Know what Radha's last wish was, Why was his flute broken by Krishna in Hindi? - जानिए क्या थी राधा की अंतिम इच्छा, क्यों तोड़ी थी कृष्ण ने बांसुरी?जानिए क्या थी राधा की अंतिम इच्छा, क्यों तोड़ी थी कृष्ण ने बांसुरी हिंदी में?

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राधा की बात हो कृष्ण का जिक्र ना हो भला कैसे संभव हो सकता है। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे जो ठहरे। तभी तो सभी भक्त कृष्ण को राधाकृष्ण के नाम से पुकारते है। क्योंकि ये दो नाम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस नाम के जपने से  जीवन रूपी नैया पार लग जाती है। किसी भीमंदिर में चले जाइए हमेशा श्रीकृष्ण के साथ राधा की मूर्ति ही लगाई जाती हैं। अगर आप वृदांवन के भी किसी भी मंदिर में जाएंगे तो आपको कृष्ण के साथ राधा ही मिलेंंगी। कृष्ण से राधा को और राधा से  कृष्ण को कोई जुदा नहीं कर सकता, इनका रिश्ता ही इतना गहरा  है, लेकिन ये रहस्य आज भी बना हुआ है कि श्रीकृष्ण अपनी प्रिय राधा को छोड़कर मथुरा क्यों चले गए? राधा ने कृष्ण के बिना अपने जीवन को कैसे बिताया? ये  सवाल बहुत गहरे हैं,  लेकिन सवालों की गहराई में जाने के बाद शायद इसका सही उत्तर मिल जाए।  ये तो सभी को पता है कि श्रीकृष्ण का बचपन वृंदावन की गलियों में बीता। नटखट नंदलाल अपनी लीलाओं से सभी को प्रसन्न करते थे। कुछ को परेशान भी करते, लेकिन कृष्ण के साथ ही तो वृंदावन में खुशियां थीं। बड़े होकर

Know Why Celebrate Independent Day in INDIA - जानिए भारत में क्यों मनाते स्वतंत्र दिवस

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The first Independence Day was celebrated in India on 15th of August in 1947. Independence Is The Freedom Of The Soul, A Perception Of The Mind And A Feeling Understood By The Heart. This Freedom, Perception And More Importantly, This Feeling Is That Of Liberation, Patriotism, Self-Dependence And Other Such Things. When All Such Terms Are Put Together And Imposed Upon The Majority, It Is A Big Responsibility On The Youth Of That Nation And On Those Who Create It. That Nation Is India. India Is A Subcontinent, Which Resides In The Asian Continent. India Is The 2Nd Most Populated Country Of The World And The 7Th Largest In The Whole World.  मैं भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ। Independence Day is an annual observance celebrated every year on 15th of August. India’s Independence Day is a day of great significance fo

Know Why We Celebrate Shri Krishna Janmashtami - जानिए हम क्यों मनाते है श्री कृष्ण जन्मास्टमी

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Janmashtami, the birthday of Lord Krishna is celebrated with great devotion and enthusiasm in India in the month of July or August. According to the Hindu calendar this religious festival is celebrated on the Ashtami of Krishna Paksh or the 8th day of the dark fortnight in the month of Bhadon. Sri Krishna is considered as the one of the most powerful human incarnations of the Lord Vishnu. He was born around 5,200 years ago in Mathura. The sole objective of Sri Krishna's birth was to free the Earth from the evilness of demons. He played an important role in Mahabharata and propagated the theory of bhakti and good karma which are narrated deeply in the Bhagwat Geeta. Sri Krishna was born in a prison in the custody of Kansa. Vasudev, His father immediately thought of his friend Nand and decided to hand over his child to him to save Krishna from the clutch of Kansa. Krishna grew up in Gokul and finally killed his uncle, King Kansa. The actual celebration of Janmashta

Know the meaning of the INDIA's "National Anthem" in Hindi - जानिए राष्ट्रगान जन गण मन... के एक-एक शब्द का मतलब हिंदी में

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जन = लोग गण = समूह मन = दिमाग अधिनायक = नेता जय हे = जीत भारत = भारत भाग्य = किस्मत जय हे = जीत भारत = Iभारत भाग्य = किस्मत विधाता = ऊपरवाला पंजाब = पंजाब सिंधु = सिंधु गुजरात = गुजरात मराठा = मराठा (महाराष्ट्र) द्रविण = दक्षिण उत्कल = उड़िसा बंगा = बंगाल विंध्य = विन्धयाचल हिमाचल = हिमालय यमुना = यमुना गंगा = गंगा उच्छलय = गतिमान जलधि = समुद्र तरंगा = लहरें ( धाराएं) तब = तुम्हारा शुभ = मंगल नामे = नाम जागे = जागो तब = तुम्हारा शुभ = मंगल आशीष = आशीर्वाद मांगे = पूछो गाहे = गाओ तब = तुम्हारी जय = जीत गाथा = गीत जन = लोग गण = समूह मंगल = भाग्य दायक = दाता जय हे = जीत भारत = हिंदुस्तान भाग्य = किस्मत विधाता = ऊपरवाला जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे.= विजय, विजय, विजय, विजय हमेशा के लिए ... जय हिंद = जय हिंद 

Know the meaning of the INDIA's "National Anthem" in English - जानिए राष्ट्रगान जन गण मन... के एक-एक शब्द का मतलब अंग्रेजी में

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जन= People गण= Group मन= Mind अधिनायक= Leader जय हे= Victory भारत= India भाग्य= Destiny जय हे= Victory भारत= India भाग्य= Destiny विधाता= Disposer पंजाब= Punjab सिंधु= Sindhu गुजरात= Gujarat मराठा= Maratha द्रविण= South उत्कल= Orissa बंगा= Bengal विंध्य= Vindhyas हिमाचल= Himalay यमुना= Yamuna गंगा= Ganges उच्छलय= Moving जलधि= Ocean तरंगा= Waves तब = Your शुभ = Auspicious नामे = Name जागे= Awaken तब = Your शुभ = Auspicious आशीष= Blessings मांगे = Ask गाहे = Gaahe तब = Your जय = Victory गाथा = Song जन = People गण = Group मंगल = Fortune दायक = Giver जय हे = Victory Be भारत = India भाग्य = Destiny विधाता = Dispenser जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे.= Victory, Victory, Victory, Victory Forever जय हिंद = JAIHIND

Janiye Amba Ki Pratigya / Bhism Pitamha Ki Mratu Ka Rahasya - जानिए अम्बा की प्रतिज्ञा / भीष्म पितामह की मृत्यु का रहस्य

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अम्बा महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गयी हैं। अम्बा की दो और बहने थीं अम्बिका और अम्बालिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहाँ आये समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आये जहाँ उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ सम्पन्न हो जाये।जब अम्बा ने यह बताया कि उसने राज शाल्व को मन से अपना पति मान लिया है तो भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, "हे आर्य! आप मुझे हर कर लाये हैं अतएव आप मुझसे विवाह करें।" किन्तु भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अम्बा रुष्ट हो गई और यह कह कर की वही भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी वह परशुराम के पास गई और उनसे अपनी व्यथा सुना कर सहायता माँगी। परशुराम ने अम्बा से कहा, "हे देवि! आप चिन्ता न करें, मैं आपका विवाह भीष्म के साथ करवा

A love story of Urvashi and Purvarawa in Hindi - उर्वशी और पुरुरवा की एक प्रेम कहानी हिंदी में

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उर्वशी स्वर्गलोक की मुख्य अप्सरा थी। वह देवों के राजा इन्द्र की कृपापात्र थी। वह उनके दरबार में प्रत्येक सन्ध्या नृत्य किया करती थी। वह सुन्दर थी। उसने अपना हृदय किसी को अर्पित नहीं किया था। एक बार वह तथा उसकी सखी अन्य अप्सरा, भूलोक पर भ्रमण के लिए गयीं। वहाँ एक असुर की उन पर दृष्टि जा पड़ी और उसने उनका अपहरण कर लिया।  भूलोक के एक राजा पुरुरवा ने उनका चीत्कार सुन लिया। पुरुरवा ने बिना किसी हिचकिचाहट के असुर पर आक्रमण कर दिया। अन्ततः उसने असुर को तलवार के घाट उतार दिया। उर्वशी विजेता पुरुरवा के प्रेम में पड़ गयी और पुरुरवा उस सुन्दर अप्सरा का  उसका प्रेमी बन गया। ठीक उसी समय स्वर्गलोक से एक दूत आया और उसने उर्वशी को देवराज इन्द्र का सन्देश सुनाया। इन्द्र ने उसे आज्ञा दी थी कि वह तत्काल स्वर्गलोक पहुँचकर एक विशेष नृत्यनाटिका में भाग ले। लाचार हो उर्वशी को लौट जाना पड़ा। किन्तु उर्वशी का मन नृत्य-नाटिका में न लग पाया। अनजाने में ही वह पुरुरवा को पुकार बैठी। नृत्यनाटिका के रचयिता भरत मुनि ने क्रुद्ध हो तुरन्त उसे शाप दे दिया : ‘‘तुमने मेरी नाटिका में चित्त नहीं रमाया। तुम

Know what is meaning of Vande Mataram in Hindi - जानिए क्या है वंदे मातरम का अर्थ हिन्दी में

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वंदे मातरम्‌ ।  सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्‌ स्यश्यामलां मातरम्‌ । शुभ्रज्योत्‍स्‍नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं सुखदां वरदां मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले, कोटि-कोटि-भुजैधृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले । बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वं हि प्राणाः शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति हृदये तुमि मा भक्ति तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नामामि त्वाम्‌ कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्‌ ॥  वंदे मातरम्‌ । श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां धरणीं भरणीं मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । अर्थ (Meaning) जलवायु अन्न सुमधुर, फल फूल दायिनी माँ!, धन धान्य सम्पदा सुख,गौरव प्रदायिनी माँ!! शत-शत नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत! अति शुभ्र ज्योत्स्ना से, पुलकित सुयामिनी है। द्रुमदल लतादि कुस

National Song of India in Sanskrit - संस्कृत में भारत का राष्ट्रीय गीत

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वंदे मातरम्‌ ।  सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्‌ स्यश्यामलां मातरम्‌ । शुभ्रज्योत्‍स्‍नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं सुखदां वरदां मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले, कोटि-कोटि-भुजैधृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले । बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वं हि प्राणाः शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति हृदये तुमि मा भक्ति तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ । त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नामामि त्वाम्‌ कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्‌ ॥  वंदे मातरम्‌ । श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां धरणीं भरणीं मातरम्‌ ॥ वंदे मातरम्‌ ।

1st Cloning In World In Hindi - जानिए दुनिया में पहली एक कोशिकीय जनन सम्सम सम्बन्धी हिंदी में

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इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर भगीरथ और श्रीराम के पूर्वज हैं। राजा सगर की 2 रानियां थीं- केशिनी और सुमति। जब दीर्घकाल तक दोनों पत्नियों को कोई संतान नहीं हुई तो राजा अपनी दोनों रानियों के साथ हिमालय पर्वत पर जाकर पुत्र कामना से तपस्या करने लगे। तब ब्रह्मा के पुत्र महर्षि भृगु ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को 60 हजार अभिमानी पुत्र प्राप्त तथा दूसरी से एक वंशधर पुत्र होगा। तब ब्रह्मा के पुत्र महर्षि भृगु ने उन्हें वरदान दिया  |  बाद में रानी सुमति ने तूंबी के आकार के एक गर्भ-पिंड को जन्म दिया। वह सिर्फ एक बेजान पिंड था। राजा सगर निराश होकर उसे फेंकने लगे, तभी आकाशवाणी हुई- 'सावधान राजा! इस तूंबी में 60 हजार बीज हैं। घी से भरे एक-एक मटके में एक-एक बीज सुरक्षित रखने पर कालांतर में 60 हजार पुत्र प्राप्त होंगे। समय आने पर उन मटकों से 60 हजार पुत्र उत्पन्न हुए।  जब राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो उन्होंने अपने 60 हजार पुत्रों को उस घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त किया। देवराज इंद्र ने उस घोड़े को छलपूर्वक चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया।  राजा सगर के 60 हजार पुत्र उस घोड