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Janiye Kese Bana Sher Maa Durga Ki Sawari- जानिए कैसे बना शेर माँ दुर्गा की सवारी

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शक्ति का रूप दुर्गा, जिन्हें सारा जगत मानता है... ना केवल कोई साधारण मनुष्य, वरन् सभी देव भी उनकी अनुकम्पा से प्रभावित रहते हैं। एक पौराणिक आख्यान के अनुसार मां दुर्गा को यूं ही शेर की सवारी प्राप्त नहीं हुई थी, इसके पीछे एक रोचक कहानी बनी है। आदि शक्ति, पार्वती, शक्ति... आदि नाम से प्रसिद्ध हैं मां दुर्गा। धार्मिक इतिहास के अनुसार भगवान शिीव को पति  क रूप में पाने के लि्ए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की। कहते हैं उनकी तपस्या में इतना तेज़ था जिसके प्रभाव से देवी सांवली हो गईं। इस कठोर तपस्या के बाद शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई। एक कथा के अनुसार भगवान शि व से वि्वाह के बाद एक दि न जब शि व, पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिहव ने पार्वती से मजाक करते हुए काली कह दििया। देवी पार्वती को शिंव की यह बात चुभ गई और कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गईं। इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। ले‌किोन चमत्कार तो देखिए... देवी को तपस्या में लीन देखकर वह वहीं चुपचाप बैठ गया।

Know Who Was Mandodari? - जानिए कौन थी मंदोदरी?

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मंदोदरी... जैसे ही यह नाम आता है हमारे जहन में एक ऐसी रानी की तस्वीर उभर आती है, जिसके चरणों में दुनिया का हर एशो-आराम है..एक अप्सरा की पुत्री जो अत्याधिक खूबसूरत और आकर्षक है, एक ऐसी समर्पित रानी ..जो स्वयं असुर सम्राट रावण की पत्नी है...। सोने की लंका की महारानी मंदोदरी, रामायण की कहानी का एक ऐसा पात्र हैं जिन्हें कभी ठीक से समझा नहीं गया। उनकी पहचान हमेशा लंकापति रावण की पत्नी तक ही सीमित रही और रावण की मृत्यु के बाद उनका अध्याय भी जैसे समाप्त कर दिया गया। रामायण की कहानी की बात करें तो अधिकांश लोग केवल भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और रावण के विषय में जानने की जिज्ञासा रखते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं या इस बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ था? अगर आपके दिमाग में भी यह प्रश्न कुलबुला रहा है या इस विषय में जानने की इच्छा हुई है तो आगे की स्लाइड्स में जानें कि आखिर लंकापति रावण की मृत्यु के बाद और विभीषण को राजपाट मिलने के बाद मंदोदरी का जीवन कैसा था। लेकिन उससे भी पहले मंदोदरी के जन्म और उनके परिवार के विष

Know Who Was Sai Baba? - जानिए कौन थे साईं बाबा?

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शिर्डी के साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें उनके भक्त संत, फ़क़ीर और सतगुरु भी कहते थे। उनके हिन्दू और मुस्लिम दोनों भक्त उन्हें पूजते थे, और उनकी मृत्यु के बाद भी आज भी हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग उन्हें पूजते है। साईं बाबा की किसी एक समाज में प्रतिष्ठा नही है। उन्होंने अपने आप को एक सच्चे सद्गुरु को समर्पित कर दिया था, लोग उन्हें भगवान का अवतार ही समझते थे। वैश्विक स्तर पर भी लोग साईं बाबा को जानते है। नश्वर चीजो का उन्हें कोई मोह नही था और उनका मुख्य उद्देश्य स्वयं को खुद की अनुभूति दिलाना था। वे लोगो को प्यार, दया, मदद, समाज कल्याण, संतोष, आंतरिक शांति और भगवन की भक्ति और गुरु का पाठ पढ़ाते थे। उन्होंने लोगो को धार्मिक भेदभाव करने से भी मना किया था। साईबाबा लोगो को हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म का पाठ पढ़ाते थे, उन्होंने उनके रहने वाली मस्जिद को हिन्दू नाम द्वारकामाई का नाम भी दिया था, जिसमे हिन्दू और मुस्लिम दोनों एकसाथ साईबाबा को पूजते थे। साईबाबा की एक प्रसिद्ध सुभाषित “सबका मालिक एक” है, जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो से जुडी हुई है, इसके साथ ही वे

Learn Apsara ....... Boon Or Curse - जानिए अप्सरा ....... वरदान या अभिशाप

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सुंदर और बेहद आकर्षक.... सही मायनों में शायद यही है अप्सराओं की परिभाषा। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों एवं कुछ बौद्ध शास्त्रों द्वारा भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है। जिसके अनुसार ये काल्पनिक, परंतु नितांत रूपवती स्त्री के रूप मे चित्रित की गई हैं। यूनानी ग्रंथों मे अप्सराओं को सामान्यत: 'निफ' नाम दिया गया है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इन अप्सराओं का कार्य स्वर्ग लोक में रहनी वाली आत्माओं एवं देवों का मनोरंजन करना था। वे उनके लिए नृत्य करती थीं, अपनी खूबसूरती से उन्हें प्रसन्न रखती थीं । लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अलावा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। लेकिन इनके नाम काफी भिन्न हैं। चीनी धार्मिक दस्तावेजों में भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है, लेकिन शुरुआत हम हिन्दू इतिहास से करेंगे। हिन्दू इतिहास की बात करें ऋग्वेद के साथ-साथ महाभारत ग्रंथ में भी कई अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। यह अप्सराएं किसी ना किसी कारण से स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर आईं एवं इन ग्रंथों को एक कहानी प्रदान कर चली गईं।

Know Who was the sister of Lord Rama - जानिए कौन थीं भगवान राम की बहन

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दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं। उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, अध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज्यादा होती है। उक्त रामायण का अध्ययन करने पर हमें रामकथा से जुड़े कई नए तथ्‍यों की जानकारी मिलती है। इसी तरह अगर दक्षिण की रामायण की मानें तो भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थी। दक्षिण में लिखी गई रामायण में ऐसा लिखा गया है कि राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के थोड़े ही दिन के बाद उन्हें अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद ले लिया था। भगवान राम की बड़ी बहन का पालन पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्शिनी (महारानी कौशल्या की बहन) ने किया। आगे चलकर शान्ता का विवाह ऋष्याश्रिंगा से हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऋष्याश्रिंगा और शान्ता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। आज भी सेंगर राजपूत ही हैं, जिन्हें ऋषिवंशी राजपूत कहा जाता है। इस संबंध में तीन कथाएं हैं:   1.पहली : वर्षिणी नि:संतान थीं तथा एक बार अयोध्या में उन्होंने हंसी-हंसी में ही बच्चे की मांग की। दशरथ भी मान गए। रघुकुल का दिया गया वचन निभ

know Rishi Ruru Gave Up Half His Life To Save His Beloved Wife, Pramadvara - जानिए ऋषि रुगु अपने प्रिय पत्नी, प्रमोदवरा को बचाने के लिए अपना आधा जीवन सौंप दिया था

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हालांकि, ऋषि ररु का वर्णन साँपों की तीव्र नफरत के लिए महाभारत में किया गया है, लेकिन देवी भागवत पुराण की एक कहानी ने अपने जन्म, उनकी पत्नी का जन्म, प्रमोदवार का वर्णन किया और उन्होंने सभी सांपों से नफरत क्यों किया। महर्षि भृगु (सप्तर्षिओं में से एक) ने पलोमा नाम की महिला से शादी की थी पुलोमा ने चिवना को जन्म दिया (जिस व्यक्ति को चेवनस्पैश का नाम दिया गया है) च्यवन ने सुकन्या से शादी की, जिन्होंने प्रामाति को जन्म दिया। प्रमति ने प्रतापी से शादी की, जिन्होंने ररु को जन्म दिया। ररु, एक ब्राह्मण, एक ऋषि बन गया, बस उसके दादाजी की तरह उसके सामने। अप्सारा मेनका (शकुंतला की मां) और विशवासु (गंधर्व का राजा और रावण और कुबेर का पिता) की एक बेटी विवाह के बाहर थी, और शर्म की बात है, उसने एक ऋषि की आश्रम में बेटी को छोड़ दिया। ऋषि का नाम स्टॉलकेशा था, जिसने लड़की का नाम रखा, प्रमद्वार स्टॉलकेस ने प्रमोदर को अत्यंत प्रेम और देखभाल के साथ उठाया, और वह एक उज्ज्वल और सौहार्दपूर्ण औरत के रूप में उभरी। एक दिन, रूरु प्रमद्वार को देखने लगा और उसके साथ प्यार में गिर गया। उसके लिए

Know what Radha's last wish was, Why was his flute broken by Krishna in Hindi? - जानिए क्या थी राधा की अंतिम इच्छा, क्यों तोड़ी थी कृष्ण ने बांसुरी?जानिए क्या थी राधा की अंतिम इच्छा, क्यों तोड़ी थी कृष्ण ने बांसुरी हिंदी में?

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राधा की बात हो कृष्ण का जिक्र ना हो भला कैसे संभव हो सकता है। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे जो ठहरे। तभी तो सभी भक्त कृष्ण को राधाकृष्ण के नाम से पुकारते है। क्योंकि ये दो नाम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस नाम के जपने से  जीवन रूपी नैया पार लग जाती है। किसी भीमंदिर में चले जाइए हमेशा श्रीकृष्ण के साथ राधा की मूर्ति ही लगाई जाती हैं। अगर आप वृदांवन के भी किसी भी मंदिर में जाएंगे तो आपको कृष्ण के साथ राधा ही मिलेंंगी। कृष्ण से राधा को और राधा से  कृष्ण को कोई जुदा नहीं कर सकता, इनका रिश्ता ही इतना गहरा  है, लेकिन ये रहस्य आज भी बना हुआ है कि श्रीकृष्ण अपनी प्रिय राधा को छोड़कर मथुरा क्यों चले गए? राधा ने कृष्ण के बिना अपने जीवन को कैसे बिताया? ये  सवाल बहुत गहरे हैं,  लेकिन सवालों की गहराई में जाने के बाद शायद इसका सही उत्तर मिल जाए।  ये तो सभी को पता है कि श्रीकृष्ण का बचपन वृंदावन की गलियों में बीता। नटखट नंदलाल अपनी लीलाओं से सभी को प्रसन्न करते थे। कुछ को परेशान भी करते, लेकिन कृष्ण के साथ ही तो वृंदावन में खुशियां थीं। बड़े होकर